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हिन्दी व्याकरण “विराम चिन्ह ” की विस्तृत जानकारी

हिन्दी व्याकरण “विराम चिन्ह ” की विस्तृत जानकारी के लिए विराम का अर्थ है ठहराव, विश्राम, रुकना । लिखते समय विराम को प्रकट करने के लिए लगाये जाने वाले चिन्ह को ही विराम चिन्ह कहते हैं। उदाहरण : मोहन पढ़ रहा है । (सामान्य सूचना) उदाहरण : ताजमहल किसने बनवाया ? (प्रश्नवाचक) उदाहरण : श्याम आया है ! (आश्चर्य का भाव) विराम चिन्ह के प्रकार विराम चिन्ह के मुख्य रूप निम्न प्रकार से हैं : अल्प विराम (Comma) [ , ] जहाँ थोड़ी सी देर रुकना पड़े, वहाँ अल्प विराम चिन्ह (Alp Viram) का प्रयोग करते हैं । उदाहरण : नदी, पहाड़, खेत, हवा उदाहरण : राम, सीता और लक्ष्मण जंगल गए । अर्द्ध विराम (Semicolon) [ ; ] जहाँ अल्प विराम (Alp Viram) की अपेक्षा कुछ अधिक देर तक रुकना पड़े, वहाँ अर्द्ध विराम (Ardh Viram) का प्रयोग करते है । उदाहरण : सूर्यास्त हो गया; लालिमा का स्थान कालिमा ने ले लिया । उदाहरण : सूर्योदय हो गया; चिड़िया चहकने लगी और कमल खिल गए । उप विराम (Colon) [ : ] जब किसी कथन को अलग दिखाना हो तो वहाँ पर उप विराम (Up Viram) का प्रयोग करते हैं । उदाहरण : प्रदूषण : एक अभिशाप । उदाहरण : विज्ञान : व

विराम चिह्न की समझ हिन्दी मे

विराम चिह(Punctuation Mark) की परिभाषा भित्र-भित्र प्रकार के भावों और विचारों को स्पष्ट करने के लिए जिन चिह्नों का प्रयोग वाक्य के बीच या अंत में किया जाता है, उन्हें 'विराम चिह्न' कहते है।  दूसरे शब्दों में- विराम का अर्थ है - 'रुकना' या 'ठहरना' । वाक्य को लिखते अथवा बोलते समय बीच में कहीं थोड़ा-बहुत रुकना पड़ता है जिससे भाषा स्पष्ट, अर्थवान एवं भावपूर्ण हो जाती है। लिखित भाषा में इस ठहराव को दिखाने के लिए कुछ विशेष प्रकार के चिह्नों का प्रयोग करते हैं। इन्हें ही विराम-चिह्न कहा जाता है। सरल शब्दों में- अपने भावों का अर्थ स्पष्ट करने के लिए या एक विचार और उसके प्रसंगों को प्रकट करने के लिए हम रुकते हैं। इसी को विराम कहते है। इन्हीं विरामों को प्रकट करने के लिए हम जिन चिह्नों का प्रयोग करते है, उन्हें 'विराम चिह्न' कहते है। यदि विराम-चिह्न का प्रयोग न किया जाए तो अर्थ का अनर्थ हो जाता है।  जैसे- (1)रोको मत जाने दो।  (2)रोको, मत जाने दो। (3)रोको मत, जाने दो। उपर्युक्त उदाहरणों में पहले वाक्य में अर्थ स्पष्ट नहीं होता, जबकि दूसरे और तीसरे वाक्य में